Wednesday, 5 January 2022

माझ्या कविता 81

लंबे अरसे से निशब्द था।
लेकिन दिल की ये हकीकत
कलम से बयां करता हूं।
चलो आज मैं कुछ लिखता हूं।

यु तो किसी को दुख देना
मेरा मकसद ही नहीं।
पर कुछ समा है दिल में
उसे छुपाना जरुरी नहीं।
मिले कभी सुकुन के दो पल 
अब दिल की खामोशी को 
अपनी कलम से आवाज देता हूं।
चलो आज मैं कुछ लिखता हूं।

मैं हूं बस एक मुसाफिर
ढूंढता मंजिल नयी हर पल।
वो कितना भी भटक जाए रास्ता
बनी को बिगड़ना मेरी ख्वाईश नहीं।
मिले उन्हे उनकी मंजिल
बस ये दुवा बयां करता हूं।
चलो आज मैं कुछ लिखता हूं।

जी लो जिंदगी खुशी से अब
किसीको टोकना मेरा मकसद नहीं।
मैं ठहरा एक कलमवाला 
दुनिया का सुकून मांगता हूं।
लंबे अरसे से निशब्द था।
चलो आज मैं कुछ लिखता हूं।

2 comments: