Wednesday, 15 April 2020

माझ्या कविता 42

होती है आंखे नम
कभी उनकी यादों मे ।
भुले तो सबकुछ फिर भी
वो सताते है ख्वाबो मै ।

जब चढ़ा था जुनून इश्क का
ना समझ पाये वो बेवफा ।
हर याद मिटायी दिलसे
और वो खफा हो गए हमसे ।

क्या खयाल भी आता हमारा
जिसने जान से भी चाहा है ।
हमे ना मिला कुछ भी लेकिन
पाना था जो वो भी खोया है ।

ऐ खुदा उनको हरपल खुशी दे
जिन्होंने हमे भुलाया है ।
वो तो छोड गए खुशी से अकेले
मगर हमे जिंदगीभर रुलाया है ।

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